इस नए विस्तारित संस्करण में प्राचीन मिस्र की संस्कृति के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जैसे इसमें मिस्र की अति प्राचीनता; उनकी विषिष्टता, उनके धार्मिक विश्वास एवं रीति-रिवाज, उनकी सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्था; उनके ब्रह्मांडीय मंदिर; उनकी समृद्ध भाषा, संगीत की विरासत व विशद विज्ञान; उनकी उन्नत चिकित्सा पद्धति; उनकी जगमगाती अर्थव्यवस्था; उनकी बेजोड़ खेती और शानदार उत्पाद, और उनकी परिवहन प्रणाली के साथ-साथ अन्य बहुत से विषयों को समेटा गया है।
यह पुस्तक प्राचीन मिस्री संस्कृति के कई पहलुओं को उजागर करती है। पुस्तक के इस विस्तारित संस्करण में चार भाग हैं, जिनमें कुल 16 अध्याय और तीन परिशिष्ट शामिल हैं।

भाग II: मिस्र के लोग में कुल चार अध्याय हैं—1 से 4 तक, जो इस प्रकार हैं:

अध्याय 1: आरम्भ में प्राचीन मिस्र के 39,000 वर्षों के कालखंड को पुरातात्विक, ऐतिहासिक और भौतिक साक्ष्यों की रौशनी में समेटा गया है, जिसमें शामिल हैं, सिंह युग और स्फिंक्स युग और साथ ही साथ मिस्र के सोथिक कैलेंडर का युग जो आजतक का सबसे सटीक कैलेंडर है।

अध्याय 2: मिस्री समाज में प्राचीन मिस्री लोगों की जड़ों और विशेषताओं के साथ-साथ संसार भर में उनके प्रसार पर प्रकाश डाला गया है।

अध्याय 3: सबसे अधिक धार्मिक अध्याय मिस्र के ब्रह्माण्ड विज्ञान, एकेश्वरवाद और बहुदेववाद, पशु प्रतीकवाद, ब्रह्मांड की रचना आदि का संक्षिप्त विवरण देता है।

अध्याय 4: सामाजिक/राजनैतिक व्यवस्था में मातृवंशीय/मातृसत्तात्मक सिद्धांतों, मातृवंशीय समुदायों, मिस्र की मूलभूत गणतांत्रिक प्रणाली, दोहरे प्रबंधन/प्रशासन वाली शासकीय प्रणाली तथा मिस्री समाज के सभी मामलों में अपनाई जाने वाली वाली प्रलेखन व्यवस्था पर प्रकाश डाला गया है।

भाग II: ब्रह्मांडीय सहसंबंध में 5 से 7 तक कुल चार अध्याय हैं, जो इस प्रकार हैं:

अध्याय 5: जैसा ऊपर वैसा नीचे में मिस्रवासियों के जीवन में ब्रह्मांडीय चेतना के तत्वों और प्रभावों को तथा उन तत्वों के स्वरूप के तौर पर चक्रीय नवीनीकरण पर्व (उर्स) को शामिल किया गया है।

अध्याय 6: फ़िरऔन, एक ब्रह्मांडीय कड़ी में एक प्रधान सेवक के रूप में मिस्र के राजा के असली शासन को शामिल किया गया है, जिसमें जनता के शासन के अलावा और भी बहुत सी चीज़ों के बारे में बताया गया है।

अध्याय 7: मिस्र के मंदिर अध्याय में मिस्र के मंदिरों के वास्तविक कार्य और उद्देश्यों पर सरसरी निगाह डाली गई है, जैसे कि लयबद्ध डिज़ायन के मापदंड; तथा और भी बहुत कुछ।

भाग III: विद्वान मिस्रवासी में 8 से 12 तक कुल पाँच अध्याय हैं जो इस प्रकार हैं:

अध्याय 8: देवभाषा में प्राचीन मिस्र में प्रचलित लेखन के तौर-तरीकों का एक जायज़ा लिया गया है- जिसमें लेखन के वर्णानुक्रमिक स्वरूप तथा चित्रमय आध्यात्मिक प्रतीकों/लिपियों के साथ-साथ मिस्र के वर्णानुक्रमिक भाषा के सांस्कृतिक पहलुओं को समेटा गया है।

अध्याय 9: मिस्र की संगीत विरासत में मिस्री संगीत की विरासत का जायज़ा लिया गया है, जिसमें

ऑर्केस्ट्रा, वाद्ययंत्रों की विस्तृत श्रृंखलाओं, प्राचीन मिस्री नृत्यों तथा बैले को समेटा गया है।

अध्याय 10: स्वास्थ्य और चिकित्सा नामक अध्याय में मिस्री औषधियों का अंतरराष्ट्रीय जगत में महत्व का जायज़ा लेते हुए, चिकित्सा, शल्य-चिकित्सा, मिस्री पपायरी में दर्ज विभिन्न बीमारियों के निदान, उपचार, तथा विधियों की विस्तृत श्रृंखला को समेटा गया है।

अध्याय 11: खगोलशास्त्र में आश्चर्यजनक रूप से सटीक खगोलीय ज्ञान और प्रणालियों को शामिल किया गया है, जैसे खगोलीय प्रेक्षण तथा अभिलेखन, राशि चक्र, इत्यादि।

अध्याय 12: ज्यामिति और गणित में पवित्र ज्यामिति और प्राकृतिक विज्ञान, भूगणित, गणित और अंकविद्या के साथ-साथ पाई और फाई के पवित्र ‘अनुपात’ के बारे मे उनके ज्ञान और उपयोग को समेटा गया है।

भाग IV: जगमगाती अर्थव्यवस्था में 13 से 16 तक कुल चार अध्याय हैं जो इस प्रकार हैं:

अध्याय 13: कृषि संस्कृति नामक अध्याय में सूखे मौसम में खेती की उत्कृष्ट तकनीकों, श्रम के सामाजिक विभाजन, और कृषक समुदाय जैसे विषयों को समेटा गया है।

अध्याय 14: विनिर्माण उद्योग नामक अध्याय धातु विज्ञान और धातुकर्म के बारे में मिस्री ज्ञान पर प्रकाश डालता है, जिसमें गिलट के उत्पाद, तांबे और कांस्य उत्पाद, काँच और शीशे के उत्पाद, लोहे के उत्पाद और खनन गतिविधियों के साथ-साथ विविध तकनीकों को समेटा गया है।

अध्याय 15: परिवहन तंत्र में उच्च गुणवत्ता वाले विभिन्न प्रकार के मिस्री जहाजों, मिस्र के प्रमुख तटीय बंदरगाहों, भूमि परिवहन के साथ-साथ यात्रा के संरक्षक देवताओं और तीर्थों की जानकारी समेटी गई है।

अध्याय 16: