शू और तेफनूत

शू और तेफनूत

 

शू और तेफनूत का दोहरा रूप सृजन के प्रारंभिक कार्य—यानी ब्रम्हाण्डीय बुलबुले का निर्माण का प्रतिनिधित्व करता है। शू और तेफनूत की जोड़े को पति और पत्नी के रूप में निरूपित किया गया है, जो द्वैत और ध्रुवण को व्यक्त करने का मिस्र का अपना विशिष्ट तरीका है। जैसा कि पुरातात्विक साक्ष्यों के रूप में प्राप्त हुआ है, इस दोहरी प्रकृति को प्राचीन मिस्री लेखों और परंपराओं में व्यक्त किया गया था।

पुराने राजवंश के सबसे प्राचीन लेख अर्थात् पिरामिड लेख §1652, इस दोहरी प्रकृति को इस प्रकार व्यक्त करते हैं:

और यद्यपि वह शू के रूप में उत्सर्जित हुआ, और तेफनूत के रूप में उत्सर्जित हुआ।

यह एक बहुत जबर्दस्त समानता है, क्योंकि किसी चीज को बिल्कुल मूल जैसा बताने के लिए हम ”अक्स” शब्द का उपयोग करते हैं।

ब्रह्मांड की प्राचीन मिस्री अवधारणा एक बक्से के समान है। परमात्मा ने जो पहली चीज बनाई वह था, जल का एक अनंत महासागर, एक प्रकार का बुलबुला। आकाश अनंत महासागर की त्वचा है—जिसमें दो शक्तियों से उत्पन्न वातावरण स्थित है, जिन शक्तियों को प्राचीन मिस्रवासी शू और तेफनूत कहते थे। शू (गर्मी) और तेफनूत (जल/नमी) दोनों का अर्थ का वातावरण है। नून (सृष्टि पूर्व का ब्रह्मांडीय सागर) रूपी मूल से शू और तेफनूत दोनों उत्पन्न हुए।

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गर्मी (शू) और पानी (तेफनूत), जीवन को स्वरूप प्रदान करने वाले दो सबसे सार्वभौमिक कारक हैं। इन शब्दों का अर्थ क्रमशः आग (गर्मी) और नमी है, तथा इन्हें अपने अमूर्त गुणों का प्रतिनिधित्व करने वाले रूपकों के तौर पर लिया जा सकता है। शू को, विस्तार, उदय, अपकेन्द्री शक्ति, सकारात्मकता, पुरुषत्व, निर्गमन, बहिर्मुखता आदि गुणों को प्रदर्शित करने वाले अग्नि, वायु, और गर्मी के रूप में दर्शाया जाता है।

तेफनूत को, संकुचन, अधोमुखी गति, अभिकेंद्रीय शक्ति, नकारात्मकता, स्त्रीत्व, ग्रहणशीलता, आंतरिकता, आत्मप्रेक्षण, आदि गुणों को प्रदर्शित करने वाली नमी, तथा आविर्भाव (नूत, प्रत्यय) के आधारभूत  वस्तुगत पदार्थों के रूप में दर्शाया जाता है।

उपर्युक्त प्राचीन मिस्री अवधारणा आधुनिक वैज्ञानिकों से पूरी तरह से मेल खाती है, जो हमें यह बताते हैं, कि आकाशगंगाएं मुख्य रूप से दो परस्पर विरोधी बलों के अधीन हैं: 1) निष्कासन बल, जो सभी आकाशगंगाओं को हम से दूर धकेलती है, तथा 2) गुरुत्वाकर्षण/संकुचन बल, जो सभी आकाशगंगाओं को एक दूसरे के पास खींचती है।

 

[इसका एक अंश: मिस्र का ब्रह्मांड विज्ञान: सजीव ब्रह्मांड , तीसरा संस्करण द्वारा लिखित मुस्तफ़ा ग़दाला (Moustafa Gadalla) ]