सुसंस्कृत भाषा

सुसंस्कृत भाषा

 

प्राचीन मिस्री लेखों में मिस्र की भाषा और लोगों की उच्च संस्कृति को दर्शाया गया है। जर्मन मिस्री पुरातत्ववेत्ता, एडॉल्फ एरमन, अपनी पुस्तक, द लिटरेचर ऑफ द एनसियंट इजिप्शियन (पृष्ठ 24) में लिखते हैं,

हम जितना पीछे जाकर देखते हैं, तो पाते हैं कि मिस्री भाषा को बड़े ही जतन से पोषित किया गया था। यह रूपकों और अलंकारों से समृद्ध, एक ‘‘सुसंस्कृत भाषा’’ है, जो लिखने वाले के लिए  ‘‘रचती और सोचती’’ है।

ब्रिटिश मिस्री पुरातत्ववेत्ता, एलन गार्डिनर, अपनी पुस्तक, इजिप्शियन ग्रामर (पृष्ठ 4) में, लिखते हैं,

इस भाषा का मुख्य गुण इसकी संक्षिप्तता है, वाक्य और वाक्यांश संक्षिप्त और प्रासंगिक हैं। जटिल अभिप्राय और लंबे वाक्य दुर्लभ हैं, हालाँकि कुछ कानूनी दस्तावेज़ों में ऐसा पाया जाता है। शब्दावली बहुत समृद्ध थी। मिस्री भाषा की स्पष्टता में बड़ा योगदान उसके बेहद कठोर शब्द-विन्यास का है…

प्राचीन मिस्री लेखन के विषयों में व्यापक विविधताएं है, जिनमें शामिल हैं:

1. धार्मिक और अंतेष्टि लेख

2. व्यापारिक एवं कानूनी अभिलेख

3. वैज्ञानिक साहित्य/दस्तावेज़ (जैसे गणितीय पपायरी)

4. खगोलीय प्रेक्षण

5. चिकित्सीय लेखन

6. बोध साहित्य

7. ध्यान या समाधि

8. चिट्ठियाँ

9. कविता, गीत और भजन

10. जादू

11. मिस्री कहानियाँ

12. यात्रा

चूंकि प्राचीन मिस्रवासियों के लिए पवित्र और सांसारिक के बीच कोई भेद नहीं था, इसलिए मिस्री लेखों की व्याख्या काफी हद तक उसके व्याख्याता के दृष्टिकोण से निर्धारित होती है। जहाँ एक तरफ़ जाहिल पश्चिमी पंडित किसी लेख की फ़ालतू व्याख्याएं लेकर आएंगे (और आते हैं), वहीं दूसरी ओर वास्तविक अध्ययन करने वाले, उसी लेख को पूरी तरह से अलग व्याख्या देंगे, जो मिस्रियों के ज्ञान और विद्या का सही रूप पेश करेगा।

उत्कृष्ट लेखन सामग्री और किताबों की रचना द्वारा मिस्रवासी जीवन के हर क्षेत्र में लेखन का उपयोग करने में सक्षम थे। मिट्टी पर अपनी संकेत आकृतियों को अंकित करने वाले मिनोआई-माइसीनियाई, बेबिलोनियाई व अन्य सभ्यताओं के विपरीत, मिस्रवासी लेखन सामग्री के तौर पर चमड़े, पत्थर, लकड़ी और कागज का इस्तेमाल करते थे।

प्राचीन मिस्रवासियों ने पेपिरस के अलग-अलग पन्न को एक साथ चिपका कर किताब बनाया, और ऐसी ही शानदार पांडुलिपियों की लंबाई 65 और 130 फुट (20 और 40 मीटर) तक है। मिस्रवासी कलम और पक्की स्याही का उपयोग करते थे, जिससे वे लकड़ी के पट्टियों पर लिखते थे। ऐसी लेखन सतहों और उपकरणों की बहुतायत थी, जिससे लिपिकों को स्पष्ट, सुरुचिपूर्ण, घुमावदार और निश्चित संकेत आकृति बनाने में आसानी होती थी। (किसी नुकीले उपकरण के बजाय) कलम से लिखने पर ज़्यादा घुमावदार अक्षर बनते थे।

(इस अध्याय में दिए गए विषयों के बारे में अधिक जानकारी के लिए मुस्तफ़ा ग़दाला द्वारा लिखित चार पुस्तकें पढ़ें, जो इस प्रकार हैं:

द एनसियंट इजिप्शियन अल्फाबेटिकल लेटर्स ऑफ क्रिएशन

द एनसियंट इजिप्शियन यूनिवर्सल राइटिंग मोड

द म्यूज़िकल ऐसपेक्ट्स ऑफ द एनसियंट इजिप्शियन वोकैलिक लैंग्वेज

द इजिप्शियन हाइरोग्लिफ मेटाफिजिकल लैंग्वेज

 

[इसका एक अंश: इसिस :प्राचीन मिस्री संस्कृति का रहस्योद्घाटन- द्वितीय संस्करण द्वारा लिखित मुस्तफ़ा ग़दाला (Moustafa Gadalla) ]